Friday, 2 May 2014

संतों के सानिध्य में धूमधाम से हुई मोहनानंद सरस्वती महाराज की मूर्ति की स्थापना

संतों के सानिध्य में धूमधाम से हुई मोहनानंद सरस्वती महाराज की मूर्ति की स्थापना

श्री आत्मानंद समाधि धाम में चल रहे
प्रतिष्ठा महोत्सव के तहत गुरुवार को साधु-
संतों के सानिध्य में अभिजीत मुहूर्त में वैदिक
मंत्रोच्चार के साथ लाभार्थी परिवार के
सदस्यों की ओर से मोहनानंद सरस्वती महाराज
की मूर्ति की स्थापना की गई। इस दौरान
लाभार्थी परिवार के सदस्यों की ओर से मंदिर
परिसर पर पुष्प वर्षा की गई। मूर्ति स्थापना के
कार्यक्रम में जिले सहित आस-पास के क्षेत्रों से
आए राजपुरोहित समाज के लोगों ने भाग लिया।
इससे पूर्व लाभार्थी परिवार के सदस्यों ने तोरण
वंदन के साथ फले चूंदड़ी चढ़ाने का लाभ लिया।
मूर्ति स्थापना के बाद महाआरती व
महाप्रसादी का आयोजन किया गया।
मूर्ति स्थापना को लेकर मंदिर परिसर में दिन भर
मेले सा माहौल बना रहा। इस दौरान उपस्थित
लोगों ने साधु-संतों से आशीर्वाद लेकर क्षेत्र में
सुख-समृद्धि व खुशहाली की मनोकामना की।
प्रतिष्ठा महोत्सव के दौरान गुरुवार
को गायत्री होम की पूर्णाहुति हुई।
प्रतिष्ठा महोत्सव के समापन पर लाभार्थी परिवार
के सदस्यों व साधु-संतों व ट्रस्ट की ओर से
बहुमान किया गया।
भजन संध्या में झूमे श्रद्धालु
प्रतिष्ठा महोत्सव के तहत बुधवार रात्रि में भजन
संध्या का आयोजन किया गया। भजन संध्या में
बालोतरा के गायक कलाकार प्रकाश माली की ओर
से भक्ति गीतों की प्रस्तुतियां दी गई। भजन
संध्या के प्रारंभ में रामानंद महाराज ने रामायण
की चौपाइयां पेश की। इसके बाद प्रकाश माली ने
गणपति व गुरु वंदना सहित कई
भक्ति गीतों की प्रस्तुतियां दी जिन पर श्रद्धालु
देर रात तक झूमते रहे।
साधु-संतों का रहा सानिध्य
प्रतिष्ठा महोत्सव के तहत जिले सहित आस-पास
के क्षेत्रों से आए साधु-संतों का सानिध्य रहा।
प्रतिष्ठा महोत्सव के समापन पर ब्रह्मधाम
आसोतरा गादीपति तुलसाराम महाराज, भारत साधु
समाज प्रदेशाध्यक्ष निर्मलदास महाराज, भैरुनाथ
अखाड़ा जालोर के गंगानाथ महाराज, लेटा महंत
रणछोड़ भारती महाराज, रामानंद महाराज,
दंडी स्वामी देवानंद सरस्वती महाराज,
दत्तशरणानंद महाराज व रावतभारती महाराज सहित
कई साधु संत उपस्थित थे।
> जालोर. आत्मानंद समाधि धाम पर
प्रतिष्ठा समारोह में हैलीकॉप्टर से
पुष्पवर्षा की गई।
क्च आत्मानंद समाधि धाम में लाभार्थी परिवार के
सदस्यों ने मंदिर परिसर पर कलश चढ़ाने के साथ
की पुष्प वर्षा, तोरण वंदन के साथ लिया फले
चुंदड़ी का लाभ, भजन संध्या में झमे

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